केमिकल खाद और कीटनाशी से बेकार हो रही मिट्टी, केवीके द्वारा प्राकृतिक खेती पर जागरुकता सह प्रशिक्षण का आयोजन।

रिपोर्ट:-विकास आनन्द, राघोपुर

प्राकृतिक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, राघोपुर, सुपौल द्वारा प्राकृतिक खेती पर जागरुकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन छातापुर प्रखंड के उधमपुर ग्राम और राघोपुर में किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ मिथिलेश कुमार राय ने कार्यक्रम में उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि इस समय प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती की बहुत आवश्यकता है क्योंकि लगातार भूमि पर रासायनिक कीटनाशकों, केमिकल खादों का प्रयोग तथा भूमि को प्रतिवर्ष पलटने से भूमि की उर्वरा शक्ति पूरी तरह समाप्त हो चली है। हानिकारक केमिकल कीटनाशकों के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ कृषि की लागत भी बढ़ रही है। रासायनिक खेती से प्राकृति में और मनुष्यों के स्वास्थ्य में भी गिरावट आई है।किसानों की पैदावार का आधा हिस्सा उनके उर्वरक और कीटनाशक में ही खर्च हो जाता है।

यदि किसान खेती में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उन्हें प्राकृतिक खेती की तरफ अग्रसर होना चाहिए। केंद्र के वैज्ञानिक मो0 नदीम अख्तर ने किसानों से कहा कि रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा क्षमता काफी कम हो गई है जिससे मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ गया है। मिट्टी की उर्वरक क्षमता को देखते हुए जैविक खाद का उपयोग जरूरी हो गया है।

यहां किसान बहु फसल चक्र अपनाकर खेती करते हैं इसलिए यहां प्राकृतिक खेती की अधिक संभावना है इन बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र इस प्रखंड में प्राकृतिक खेती हेतु सघन जागरूकता एवं प्रशिक्षण चला रहा है। जिसके तहत किसानों को प्राकृतिक खेती की तरफ जागरूक करते हुए प्राकृतिक खेती की महत्ता, आवश्यकता एवं लाभ पर विस्तृत जानकारी दी जा रही है।

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