मधेपुरा : याद किए गए दिनकर ।

सुरेश कुमार सिंह सिमराही सुपौल ।

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से भारतीय साहित्य, समाज एवं राजनीति पर अमिट प्रभाव डाला है । आज भी भारतीय जनमानस में उनकी रचनाओं की गूंज मौजूद है। हमें उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रेरणा ग्रहण करने की जरूरत है।

यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डा. कैलाश प्रसाद यादव ने कही। वे शुक्रवार को रामधारी सिंह दिनकर की जन्मतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय की ओर से किया गया। उन्होंने बताया कि दिनकर को साहित्य व समाज में उनके योगदान के लिए द्वितीय सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र एवं डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि दिनकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने हिदी, संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी, उर्दू, राजनीति विज्ञान एवं दर्शनशास्त्र का गहन अध्ययन किया था। उन्होंने सड़क से लेकर संसद तक अपनी विद्वत्ता का परचम लहराया था। उन्होंने संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सदस्य, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के कुलपति और भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार के रूप में कार्य किया।

मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि दिनकर की रचनाओं में समाज के मनोवैज्ञानिक प पहलुओं को बखूबी दर्शाया गया है।

इस अवसर पर अतिथि व्याख्याता डॉ. राकेश कुमार, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, राजेश कुमार उदय कुमार, प्रवेश कुमार, अमित कुमार, कुमारी खुशबू, कोमल, जूही कुमारी, झूमा कुमारी, राहुल कुमार, राजेश कुमार, सोनम, ऐश्वर्या आनंद, अंजली कुमारी, कि‌नशु कुमारी, प्रेरणा, मिथिलेश, अमित, पुनीता, मोनिका जोशी, शिवानी प्रिया, नूतन, पूनम, डिंपल कुमारी, कोमल कुमारी, विमल कुमार, खुशबू , जुगनू कुमारी आदि उपस्थित थे।

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