
बलुआ बाजार : डूबते- उगते सूर्य को अर्घ देने के साथ संपन्न हुआ छठ पूजा।।
अमृत सागर झा, बलुआ बाज़ार
लोक आस्था के महापर्व ‘छठ’ का हिंदू धर्म में अलग महत्व है। लोकआस्था का महापर्व छठ के रंग से छातापुर प्रखंड क्षेत्र के बलुआ, मधुबनी , ठुठी, लक्ष्मीनियां, डोडरा , भीमपुर में बहार है। ऐसे में लक्ष्मीनियां पंचायत के गैडा नदी के लोग पूरी श्रद्धा, भक्ति,आस्था और उमंग से पर्व को मना रहे हैं। कोरोना के कारण सुस्त पड़े जीवन और बाजार फिर से दिवाली और छठ के कारण खिल उठे हैं। घरों से लेकर घाट तक छठी मईया के सुरीले लोकगीतों गूंज रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने कोरोना काल में मनाए जानेवाले छठ पर्व के लिए गाइडलाइन जारी किए हैं। इसके पालन के लिए भी प्रशासन मुस्तैद है।
अच्छी बात यह है कि लोग स्वयं भी कोरोना से बचाव के साथ पर्व को उल्लास से मना रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने अपने पोखर में ही भगवान भास्कर को अर्घ देने की तैयारी की है तो प्रशासन की ओर से भी पंचायत के कई घाटों पर एहतियात के साथ सूर्य उपासना की तैयारी की गई है। घाटों पर साफ-सफाई से लेकर आकर्षक रोशनी की व्यवस्था की गई है।
पूरी क्षेत्र में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया है। दरअसल, लोक आस्था का यह पर्व इसलिए तो अनूठा है कि इसमें प्रकृति की पूजा, प्राकृतिक चीजों के व्यापक प्रयोग की कुशलता, शिक्षा और स्वास्थ्य की सीख, स्वच्छता, संस्कृति , भाईचारा और आस्था का बेजोड़ मेल है। बुधवार को छठ व्रती डूबते सूर्य को अर्घ देती नजर आई। महिलाओं द्वारा गन्ने के मंडप सजाकर उसमें प्रकार के फलों और पकवानों को रखकर पूजा-अर्चना की। सूर्य देव के डूबने से पहले महिलाओं ने जल से भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही सूर्य की उपासना की कहानी सुनाई। इस दौरान कई जगह महिलाओं ने तालाब में दीपदान भी करती नजर आई। इससे दीपों की राेशनी से तालाब का पानी जगमगा उठा।
इसी दौरान कई जगह बच्चों द्वारा जमकर आतिशबाजी की गई। इस आतिशबाजी से तालाब के घाट रंगीन हो उठे और काफी देर तक धमाकों की आवाज से गूंजते रहे। गुरूवार को उगते सूर्य को अर्घ देकर पूजा संपन्न हुए । इसके पहले श्रद्धालुओं ने सोमवार को नहाय-खाय और मंगलवार को खरना पूजा किया। मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है।