सुपौल: न तो ठंड और न ही कोरोना से बचाव के लिए बंद किए गए जिले के आंगनबाड़ी केंद्र ।

आशीष वर्मा , व्यूरो सुपौल

सुपौल/ प्रतापगंज: बढ़ती ठंढ को देखते हुए आठ जनवरी तक पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के शैक्षणिक कार्य स्थगित किये गये थे इसी बीच बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए उससे बचाव के लिए स्कूल के साथ कॉलेज भी बंद कर दिये गये। साथ ही संबंधित कर्मियों के लिए कार्यालयों में भी पचास फीसदी की उपस्थिति ही अनिवार्य की गई। जबकि प्राथमिक शिक्षा का केंद्र कहे जाने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों को अब तक बंद नहीं किया गया है। इससे मासूम बच्चों पर कोरोना संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। न तो भीषण ठंड और न ही कोरोना संक्रमण का तेजी से हो रहे प्रसार से बचाव के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद किया है और न ही बच्चों को बुलाने पर रोक लगाई गई।

कहते है सीडीपीओ –

इस संबंध में सीडीपीओ सुलेखा कुमारी ने बताया कि ठंड या कोरोना संक्रमण को लेकर आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन बंद करने संबंधी किसी तरह का कोई आदेश सरकार या विभाग से नहीं मिला है। इस वजह से केंद्र खुले हैं। हालांकि इस सावधानी का पालन जरूर किया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए केंद्र में कार्यदिवस के दौरान बच्चों को 50 प्रतिशत उपस्थिति के हिसाब से बुलाया जा रहा है। इससे बच्चों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य सरकारी गाइडलाइन का पालन करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र पर आने और घर जाने समय बच्चों को हैंडवाश कराया जाता है तथा सभी आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका को कोरोना नियमों का पूरी तरह से पालन करने का निर्देश दिया गया है।


126 आंगनबाड़ी केंद हो रहे है संचालित :-

बताते चेल कि प्रखंड में 126 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इन आंगनबाड़ी केंद्रों पर तीन से छह वर्ष के करीब तीन हजार से भी अधिक बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। कोरोना के बढ़ते संक्रमण से बच्चों को भी खतरा बताया जा रहा है। लेकिन बाल विकास परियोजना के अंतर्गत संचालित केंद्रों के संबंध में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि सरकारी आदेश से अब सभी विद्यालयों को बंद करवा दिया गया है ।

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