तीन सालों की तरह कोरोना वायरस आने वाले वर्षों में रहा तो क्या बिहार और देश के बच्चे यूं ही अनपढ़ रहकर देश को विश्व गुरु बनाएंगे :- राशिद जुनैद

दिवाकर कुमार , अररिया, बिहार


प्राचीन विश्व के शिक्षा का केंद्र, विश्वगुरु के रूप में विख्यात,बिहार और देश की धरती की नई पीढ़ी और युवाओं की शिक्षा हथेली से फिसलते हुए रेत की तरह लुढ़क रही है और देश की सरकारें मौज में चुनाव लड़ रही हैं। लाखों की भीड़ में रैलियां होती रही हैं और शिक्षा को विद्यालय और कोचिंग संस्थानों से दूर ऑनलाइन के नाम पर देश के नव युवाओं को मूर्ख रखने की एक बड़ी साजिश की जा रही है। ये बातें ऑल इंडिया प्राइवेट कोचिंग एसोसिएशन के संस्थापक राशिद जुनैद ने देश की ठप पड़ी शिक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा।

राशिद जुनैद 

वर्तमान में विश्व के लगभग हिस्सों में ओमीक्रोन का प्रभाव होते हुए भी शिक्षण कार्य को सुचारु रखा गया लेकिन बिहार एवं देश के राज्यों में कोरोना के नाम पर सबसे पहले शैक्षणिक संस्थानों में ताला जड़ दिया गया। अब सवाल उठता है पिछले तीन सालों की तरह कोरोना वायरस आने वाले वर्षों में रहा तो क्या बिहार और देश के बच्चे यूं ही अनपढ़ रहकर देश को विश्व गुरु बनाएंगे? क्या हम आने वाली पीढ़ी का अनपढ़ों का देश बनाना चाहते हैं? आखिर कब तक देश में रैलियां ऑफलाइन और शिक्षा ऑनलाइन का मजाक चलता रहेगा। सरकार का कार्य अपनी जनता की समस्याओं का समाधान करना है ना कि उन्हें मरते हुए हालात पर छोड़ देने का है। आज पिछले 3 साल से प्राइवेट शिक्षकों की हालात त्राहिमाम और भुखमरी के कगार पर है। शिक्षा किसी भी देश की रीढ़ होती है आज की शिक्षा व्यवस्था कल के स्वर्णिम राष्ट्र की बुनियाद रखता है और आज उसी बुनियाद को धराशायी किया जा रहा है।

  नवनीत सिन्हा

संगठन के समन्वयक नवनीत सिन्हा ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में कोरोना का संपूर्ण पालन के साथ वर्ग संचालन किया जाता है जबकि बाजारों में किसी प्रकार की कोई सावधानी नहीं बरती जाती इसके बावजूद भी बिहार सरकार द्वारा 21 जनवरी तक पूर्णरूपेण एजुकेशनल लॉकडाउन लगाया गया है। जिसका हम लोगों के द्वारा पालन किया गया है।चूंकि अब विश्व बैंक,विश्वव्यापी संगठनों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा कोरोना के नाम पर शैक्षणिक संस्थानों को बंद नहीं किए जाने का प्रस्ताव दे दिया गया है इसके बावजूद भी अगर सरकार मनमानी करती है तो परिवार की आजीविका एवं छात्रों के भविष्य के लिए उग्र आंदोलन को हमसब बाध्य होंगे जिसकी पूरी जवाबदेही सरकार की होगी।

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