संस्कृत विद्यालय में कुव्यवस्था को ले प्रखंड अधिकारी को दिया लिखित आवेदन,जांच का किया मांग।

अमृत सागर झा, बलुआ बाजार

सरकार व विभाग संस्कृत शिक्षा के प्रति उदासीन है। जबकि संस्कृत को ही भाषा की जननी माना जाता है। मालूम हो कि लगभग वर्ष 1986 में बसंतपुर प्रखंड क्षेत्र के विशनपुर शिवराम पंचायत के तुल्सीपट्टी वार्ड नंबर 09 के वासुदेव प्राथमिक सह संस्कृत विद्यालय का संचालन किया गया। जहां एक समय तक आस-पास इलाके से भारी संख्या में विद्यार्थी संस्कृत शिक्षा प्राप्त करते रहे थे। लेकिन विद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था को बरकरार रहे, इस दिशा में शासन- प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का पहल नहीं किया गया। जिस कारण इस इलाके के छात्रों को संस्कृत शिक्षा पाने के लिए अन्य प्रांतों का शरण लेने पर विवश होना पड़ा रहे हैं। उक्त विद्यालय की हालत ऐसी बनी हुई है कि जहां विद्यालय में टिने का भवन जर्जर व ध्वस्त होने के कगार पर है। वहीं फिलहाल वक्त में इस विद्यालय में एक हेडमास्टर साहित 2 शिक्षक हैं। साथ ही लगभग 250 छात्र एवं छात्राओं के नामांकन रहने की बात बतायी जा रही है। जानकारी अनुसार आयेदिन शिक्षक की अनुपस्थिति के साथ टीना के बने घर जर्जर है,लिहाजा विद्यालय खंडर में तब्दील हो गया है। मालूम हो कि पूर्व में कई बार स्थानीय ग्रामीण ने सुचना के माध्यम से इसकी शिकायत मौखिक रूप में प्रखंड विकास अधिकारी बसंतपुर औऱ जिला शिक्षा पदाधिकारी सुपौल को किया गया था।इस बाबत पर कोई कार्रवाई नही किया गया,जिसके कारण शिक्षक अपने रवैये से बाज नही आ रहे है।आप को बता दे कि बीते सोमवार को स्थानीय निवासी अनुज कुमार ने एक बार फिर से लिखित शिकायत प्रखंड विकास पदाधिकारी बसंतपुर को दिया है । आवेदन में बताया है कि वासुदेव प्राथमिक सह संस्कृत विद्यालय नाथपट्टी में लागातार कुव्यवस्था हो रही है,न तो विद्यालय को खुद में कोई अच्छे भवन है, न ही शौचालय का सही ढंग से निर्माण किया गया है,न ही विद्यालय में चार दिवारी है,यहाँ तक नही विद्यालय में हेडमास्टर के अलावे बांकी शिक्षक नियमित रूप से गायब रहते है जिसके कारण विद्यार्थी स्कूल नही आते है औऱ न ही पोषक,छात्रवृत्ति संबंधी कोई लाभ छात्र-छात्रा को मिल रहा है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अंकिता कुमारी ने बताया कि इससे पूर्व विद्यालय को लेकर पूर्व में शिकायत मिली थी जिसके बाद मेरे द्वारा जांच किया गया था। जिसमें शिक्षकों को हिदायत देने के साथ विद्यालय समय से आने का निर्देश दिया गया था। विद्यालय भवन एवं अन्य कुव्यवस्था को लेकर ऊपर के पदाधिकारियों को लिखा गया है।

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