ज़ीरो टिलेज से की गई गेँहू खेती में मिल रहे डेढ़ गुणा उत्पादन-बीएयू निदेशक डॉ सोहाने।

विकास आनन्द ,कोसी ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट


किसान के खेत मे प्रत्यक्षण लगाकर कटाई कर दिखाया गया उत्पादन

★कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों पर बढ़ रहा है किसानों का भरोसा

जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अन्तर्गत सुपौल जिले में चयनित गाँव छातापुर प्रखण्ड के मधुबनी में फसल शून्य जुताई(ज़ीरो टिलेज) तकनीक से लगाई गई गेहूँ का फसल कटाई का कार्य मधुबनी ग्राम के कृषक मो० अनिश हैदर के प्रक्षेत्र को चयनित किया गया। मधुबनी गावँ निवासी कृषक मो अनिश हैदर के प्रक्षेत्र में  बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ० आर० के० सोहाने के हाथो से फसल कटाई कार्यक्रम का शुभारंम्भ हुआ। डॉ सोहाने ने बताया कि फसल कटाई के आधार पर जिले में फसलों की औसत उपज और उत्पादन के ऑकड़े तैयार किए जाते है, जिससे उत्पादन की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। निदेशक प्रसार शिक्षा में किसानों की समस्याओं से अवगत होने के साथ-साथ कृषकों को मोटे अनाज की खेती का रकवा बढ़ाने तथा उसके प्रसंस्करण पर जोर दिया।

साथ ही साथ जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्र के तहत चयनित गाम मधुबनी एवं उधमपुर में महिना के प्रथम वृस्पतिवार, परियाही में दूसरे लालगंज में तीसरे तथा भरतपुर मे चौथे गुरूवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ-साथ उनके फिडबैक एवं समसायिक समस्या पर परिचर्चा एवं समाधान तत्कालिक स्तर पर करने हेतु निदेशित किया। फसल की जाँच कटाई  अनुमंडल कृषि पदाधिकारी श्री राहुल कुमार, प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी, छातापुर तथा किसान सलाहकार की उपस्थिति में रैंडम तालिका स्तंभ के आधार पर 10 मीटर लम्बाई एवं 5 मीटर चौड़ाई के आयाताकार प्रयोगनात्मक खण्ड का निर्धारण किया गया और हर खण्ड में लगे गेहूँ के फसल की प्रभेद डी०बी०डब्लू0-187 की कटाई की गई। इसमें 25.3 किलोग्राम गेहूँ का उत्पादन पाया गया। जिसके अनुसार एक हेक्टेयर में 50.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त हुआ। वहीं कृषकों द्वारा लगाई गई परंपरागत विधि से गेहूँ का उत्पादन 38 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पाया गया। निदेशक डॉ सोहाने द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र के क्रियाकलापों की समीक्षा करते हुए वैज्ञानिकों को निर्देश दिया की किसानों की समस्याओं के अनुसार अपने प्रत्यक्षण का निर्धारण करें तथा बदलते जलवायु परिदृश्य में धान, गेहूँ के साथ मोटे अनाज से संबंधित तकनीकों का समावेश करें। उसके अच्छादन में विस्तार करने के लिए प्रशिक्षण, जारूकता एवं प्रत्यक्षण पर बल दिया जाय। निदेशक  के द्वारा बिहार कौशल विकास मिशन के अन्तर्गत संचालित मखाना उतपादन सह प्रसंस्करण पर संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रशिक्षणार्थियों के बीच प्रशिक्षण कीट का विवरण किया गया तथा प्रशिक्षाणार्थियों को संबोधित करते हुए प्राचार्य, भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया, डॉ० पारस नाथ ने कहा की किसानों को मखाना की खेती के साथ-साथ उसके प्रसंस्करण एवं बाजार पर ध्यान देने की आवश्यकता है। केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ० मिथिलेश कुमार राय द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अन्तर्गत खेती की छोटी-छोटी तकनीकों को समावेश कर उत्पादकता में वृद्धि व खेती के संसाधन में संरक्षण कर कम लागत में अधिक से अधिक शुद्ध लाभ प्राप्त करने की गुड़ बताए गए।

केन्द्र के प्रक्षेत्र पर संचालित दीर्घकालिक प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र का भ्रमण कराते हुए, विभिन्न अपनाए हुए तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक किसानो के साथा-साथ नीलेश कुमार, नदीम अख्तर, डॉ० निराल कुमार, मिस अलिसा, डॉ० रश्मि कुमारी, डॉ० दीपक कुमार, सुमन कु० चौधरी, श्री जे० के० पासवान व अन्य की भी सहभागीता रही।

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