_मधेपुरा में माध्यमिक शिक्षक संघ ने कैंडिल जलाकर नियोजित शिक्षक के पदस्थापन नीति का विरोध किया.._

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ, पटना के राज्यव्यापी आह्वान पर मधेपुरा ज़िलें के सैकड़ों माध्यमिक,उच्च माध्यमिक शिक्षक/शिक्षिका और पुस्तकालयाध्यक्ष, प्रधानाध्यापक, और संघीय प्रतिनिधियों ने मंगलवार, दिनांक 19/11/2024 को संध्या संघ-भवन मधेपुरा में एकत्रित होकर असंवैधानिक रूप विशिष्ट शिक्षक नियमावली के प्रतिकूल नए सिरे से लागू पदस्थापना नीति के विरुद्ध बिहार सरकार के खिलाफ नारे लगाकर एवं केंडिल जलाकर प्रतिरोध किया।

आंदोलन का आगामी चरण 28 नवंबर 2024 को विधानमंडल का घेराव है।

जिला सचिव डॉ. संतोष ने कहा नई पदस्थापन नीति में 15_20 वर्षों से कार्यरत शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों को बिना सेवा निरंतरता दिए, नई नियुक्ति पत्र थमाकर बिहार सरकार विशिष्ट राज्यकर्मी शिक्षक बनाने का स्वांग रच रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के समान काम_समान वेतन केस में शिक्षकों की वेतन बढ़ोतरी के लिए बिहार सरकार हलफनामा देकर कही थी कि आर्थिक स्थिति बेहतर होने पर शिक्षकों को बेहतर वेतन दिया जाएगा, सरकार के विभिन्न आंकडे तो बिहार में बहार का दावा करती है.. तो क्या सरकार आज हलफनामा पर कायम है?
यदि हां, तो बिहार सरकार ने लाखों नए शिक्षक तो BPSC से बिना नियोजित शिक्षकों की आर्थिक दुर्दशा और शोषण दूर किए बहाल कर दिए बल्कि उन BPSC क्वालीफाईड को भी 30_35 हजार का मूल वेतन देकर उनका भी भविष्य संशय में डाल दिया है।
माननीय न्यायालय से भी गुजारिश है कि सर्वोच्च न्यायालय में समान काम _ समान वेतन केस में दिए गए बिहार सरकार के हलफनामे की अवहेलना के जुर्म में इनको दंडित कर शिक्षकों एवं उनके परिवार की मान मर्यादा एवं सुरक्षित भविष्य के लिए न्याय देकर पुरानी वेतन और पुरानी पेंशन बहाल करने का आदेश दिया जाय…

अध्यक्ष कृष्ण कुमार ने कहा बेरोजगारी और स्कूल में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए नए शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक थी, लेकिन किसी लोकतांत्रिक सरकार को अंग्रेज के तरह शोषण करने और किसी सेवा के कर्मियों की सुरक्षित भविष्य का बेहतर नियम/वेतन/पेंशन के ढांचा को ध्वस्त करने का अधिकार नहीं है।

राज्यकार्यकारिणी सदस्य राजेंद्र प्रसाद यादव ने आंदोलन के अगले चरण में अधिक से अधिक संख्या में पटना पहुंचकर अपनी मांगों के समर्थन में विधानमंडल का घेराव करने के लिए शिक्षकों को आह्वान किए।

संघ के प्रमंडल अध्यक्ष परमेश्वरी यादव ने कहा पिछले कुछ समय से शिक्षा विभाग के ACS जैसे सिरफिरे अधिकारी और रंगबदलू राजनेताओं ने शिक्षकों को मानसिक रूप से दिव्यांग बना दिया है, ऐसे में समाज शिक्षा के लाभ से और भी वंचित हो जाएगा।

अपनी एकता प्रदर्शित करते हुए बिहार सरकार एवं अधिकारियों के विरुद्ध नारे एवं कैंडल जलाकर प्रतिरोध दर्ज करते हुए विभिन्न शिक्षकों ने पहले से नियुक्त शिक्षकों को बिना सेवा निरंतरता के पुनः नियुक्ति-पत्र बांटे जाने से आक्रोशित थे, साथ हीं सभी शिक्षक ने संघ के अनुरोध पर एकमत होकर 20 नवंबर के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम का बहिष्कार करने का भी संकल्प लिया.

जिला मुख्यालय के अतिरिक्त विभिन्न प्रखंड यथा__

उदाकिशुनगंज में प्रांतीय संयुक्त सचिव डॉ. अरुण कुमार यादव, कोषाध्यक्ष डॉ. हरिदेव कुमार, प्रखंड सचिव डॉ. संजय कुमार, सोना कु० रेणु, प्रधानाध्यापक अभिनंदन कुमार एवं अन्य…
बिहारीगंज में परीक्षा अध्यक्ष चंद्रभूषण उदाकिशुनगंज अनुमंडल अध्यक्ष प्रशांत कुमार, प्रधानाध्यापक में निरंजन झा, मनोहर साह, टुनटुन कुमार, शिक्षक मुकेश कुमार, शिक्षिका क्षमा, निधि एवं अन्य…
चौसा में परीक्षा सचिव रविन्द्र कुमार यादव, नौशाद आलम, प्रखंड सचिव विजय राम, प्रधानाध्यापक में राजेंद्र यादव, लालबिहारी यादव, संजीव कुमार, अनुमंडल सचिव उदाकिशुनगंज प्रदीप कु० पासवान आदि दर्जनों शिशकों ने केंडिल जलाकर पदस्थापन नीति का प्रतिरोध किया।

जिला मुख्यालय के इस कार्यक्रम में उपाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार, जिला कार्यसमिति से यादव विक्रम, राजीव कु० रवि, कुंदन कुमार यादव, अनुमंडल अध्यक्ष प्रभासचन्द्र, अनुमंडल सचिव दुर्गानंद प्रसाद…

प्रधानाध्यापक में रमेश कुमार रमण (सदर प्रखंड सचिव), डॉ. अजय कुमार (पूर्व जिला सचिव सह संरक्षक), संजीव कुमार, किशटो कुमार, कौशल किशोर, अजय कुमार।

राज्य पार्षदों में मनोज कुमार मुकुल, अजित नारायण, रजनीश कुमार, विक्रांत गौरव।

प्रखंड सचिव में पवन कुमार, प्रमोद कुमार, जयनारायण पंडित।

शिक्षकों में बेबी कुमारी, ज्योति कुमारी, रत्नेश कुमार, त्रिपेंद्र ना० सिंह, शुंभशरण सिंह, नीतीश कुमार, अमित कुमार, कृष्णकुमार राम, आनंद रंजन, आलोक कुमार, पौरुष कुमार, अशोक कु० अमर, राजीव रंजन, मो० इमरान, श्यामसुंदर कुमार, दिलीप कुमार, नरेंद्र कुमार, डॉ. उपेंद्र कुमार, अनिल कुमार, संतोष कुमार सहित ज़िलें के सैकड़ो शिक्षक/पुस्तकालयध्यक्ष शामिल हुए.

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