“प्राथमिक विद्यालय पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा, बच्चों को बैठने तक नही बचा जगह .

विकास आनंद , राघोपुर, सुपौल

वैश्विक महामारी कोरोनाकल में बंद पड़े विद्यालय को कुछ लोगों की नजर लग गई है। राघोपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत रामविसनपुर पंचायत के दहीपौड़ी गांव में संचालित प्राथमिक विद्यालय दबंगों की भेंट चढ़कर रह गया है। जिसके कारण विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति नहीं के बराबर होती है।

जानकारी अनुसार अगल बगल के लोगों द्वारा विद्यालय के सभी कमरों को अतिक्रमण कर लिया गया है, जिसके कारण विद्यालय में बच्चों को पठन पाठन हेतु एक भी कमरा उपलब्ध नहीं है। ग्रामीणों की शिकायत पर गुरुवार को लगभग दस बजे जब पत्रकारों की टीम प्राथमिक विद्यालय फूदाय यादव टोला दहीपौड़ी पहुंची तो विद्यालय में न तो कोई शिक्षक मौजूद थे और न ही कोई बच्चा मौजूद था। आधे घंटे बाद लगभग साढ़े दस बजे कामेश्वर मेहता नामक एक शिक्षक विद्यालय पहुंचे तो उन्होंने बताया कि यहां कुल 3 शिक्षक है, जिसमें प्रधान शिक्षिका आशा कुमारी छुट्टी पर है एवं एक शिक्षिका सुनीता कुमारी अभी तक नहीं आई है। बताया कि आज बारिश के कारण बच्चे भी नहीं आये हैं। जबकि ग्रामीणों का कहना था कि विद्यालय भवन को अतिक्रमण किए जाने के कारण बच्चों को विद्यालय में बैठने की जगह ही नहीं है, जिसके कारण बच्चे विद्यालय आना नहीं चाहते हैं। शिक्षक कामेश्वर मेहता ने बताया कि विद्यालय में लगभग 70 बच्चे नामांकित हैं और वर्ग कक्ष है। लेकिन पड़ताल के दौरान पाया गया कि पांच में से चार कमरों में टीना, डब्बा, बोरा सहित अन्य सामान भरा पड़ा था, जबकि एक कमरे को देखने से प्रतीत हो रहा था कि वहां गाय-भैंस को बांधने का कार्य किया जाता है। जब इस संबंध में मौजूद शिक्षक कामेश्वर मेहता को पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैं इस संबंध में कुछ नहीं कह सकता हूं, सारा चीज आपके सामने है। अंततः उन्होंने भी स्वीकार किया कि विद्यालय के सभी कमरों को अतिक्रमण कर लिया गया है। लेकिन अतिक्रमणकारी के डर से कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं था। उक्त शिक्षक ने कहा कि हमलोग यहां नौकरी करते हैं, जब यहां के प्रधानाध्यापिका को ही कोई दिक्कत नहीं है तो हमलोग बोलने वाले कौन होते हैं। शिक्षक ने बताया कि यहां जो भी विद्यालय के कमरे में रखा हुआ है वो बगल के नरेंद्र यादव का और कमरे में उन्ही का गैस भैंस बांधा जाता है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अतिक्रमण किए जाने के कारण यहां मुश्किल से दस बच्चे भी पढ़ने नहीं आते हैं। अलग अलग वर्ग के जो दो-चार बच्चे यहां आते भी हैं तो उन्हें गाय बांधने वाले कमरे में ही एक साथ बैठा दिया जाता है।

बताया कि इतना सब के बावजूद किसी शिक्षक द्वारा अतिक्रमण के विरुद्ध आजतक किसी पदाधिकारी को किसी प्रकार का सूचना नहीं दिया गया है, जिसके कारण अतिक्रमणकारी का मनोबल दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। गांव के लोगों ने बताया कि नरेंद्र यादव डीलर हैं और उन्हीं के दादा ने स्कूल के लिए जमीन दिया था। पूरी जानकारी दिए जाने पर राघोपुर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी विनीत कुमार ने बताया कि मामले की पूरी पड़ताल कर करवाई की जाएगी।

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